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transformer in hindi


Transformer In Hindi 
हेल्लो फ्रेंड्स यदि आप भी इलेक्ट्रिकल के किसी फील्ड से जुड़े हे या इलेक्ट्रिकल से जुडी कोई पढाई कर रहे हे जैसे – इलेक्ट्रीशियन ,वायरमैन ,एलेक्ट्रोप्लाटर ,इलेक्ट्रिकल डिप्लोमा या इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग तो आपने ट्रांसफार्मर के बारे में जरुर पढ़ा होगा .यदि आप ट्रांसफार्मर से जुड़े नॉलेज को और अधिक बढ़ाना चाहते हे तो यह पोस्ट आपके लिए मदगार हो सकती हे | इस आर्टिकल में आप जान सकते हे ट्रांसफार्मर क्या हे तथा ट्रांसफार्मर में कौन – कौन से भाग होते है  –


Transformer in hindi  | ट्रांसफार्मर क्या है  
 
” ट्रांसफार्मर एक एसी स्थिर युक्ति होती है जिसके द्वारा विद्युत उर्जा को एक सर्किट से दुसरे सर्किट में स्थान्तरित किया जाता है ” ट्रांसफार्मर फैराडे के  अन्योन प्रेरण सिध्दांत पर कार्य करता है |
 
ट्रांसफार्मर के द्वारा वोल्टेज या करंट को आवश्यकता के अनुसार कम या अधिक करके एक सर्किट से दुसरे सर्किट में भेजा जा सकता है लेकिन इस  स्थित में पहले सर्किट में जितनी सप्लाई फ्रीक्वेंसी होती हे उतनी ही फ्रीक्वेंसी स्थान्तरित किये जाने वाले दुसरे सर्किट में भी होती है | दोनों सर्किट में वोल्टेज और विद्युत धारा का मान अलग – अलग हो सकता है लेकिन फ्रीक्वेंसी का मान एक ही होता है | हमारे देश भारत में सप्लाई फ्रीक्वेंसी का मान 50 हर्ट्ज़ हे | और इस फ्रीक्वेंसी मान के अनुसार भारत की सभी इलेक्ट्रिकल मशीन एवं उपकरण बनाये जाते है |

ट्रांसफार्मर केवल ए.सी. सप्लाई पर ही कार्य करता है यदि ट्रांसफार्मर को डी.सी. सप्लाई से जोड़ दिया जाये तो ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग जल जाती है | 

Parts of Transformer | ट्रांसफार्मर के भाग 


एक छोटे ट्रांसफार्मर में तो मुख्य रूप से तीन ही भाग होते हे – 
1. प्राइमरी वाइंडिंग 
2. सेकेंडरी वाइंडिंग 
3. कोर 

लेकिन बड़े ट्रांसफार्मर में कई ज्यादा भाग होते हे क्युकी जब ट्रांसफार्मर को सप्लाई से जोड़ते हे तो वह विद्युत धारा के कारण गर्म भी होता है , धुप ,बारिश ,ठण्ड जैसे मौसम में भी खुला ही रहता , कभी लोड ज्यादा तो कभी लोड कम हो जाता है इसे बहुत से कारण होते हे जिनसे ट्रांसफार्मर जल सकता है तो इनसे बचाने के लिए ट्रांसफार्मर में अलग – अलग तरह के सुरक्षा उपकरण और भाग लगाये जाते है | आइये जानते हे ट्रांसफार्मर के सभी भागो के बारे में विस्तार से ….

Transformer All Parts

1. प्राइमरी वाइंडिंग 

यह ट्रांसफार्मर की वह वाइंडिंग होती है जिसे सप्लाई के साथ जोड़ा जाता है | यह वाइंडिंग कॉपर के वायर से की जाती है और जब इस वाइंडिंग को सप्लाई से जोड़ते हे तो इस वाइंडिंग में चुम्बकीय क्षेत्र उत्पन्न होता है | इसे प्राथमिक या प्राइमरी के नाम से भी जाना जाता है |


2. सेकेंडरी वाइंडिंग 

यह ट्रांसफार्मर की वह वाइंडिंग हे जिसे इलेक्ट्रिकल लोड के साथ जोड़ते हे | ट्रांसफार्मर की इसी वाइंडिंग से हम आउटपुट प्राप्त करते हे | इस वाइंडिंग को किसी बाहरी सप्लाई से नही जोड़ा जाता है जब प्राइमरी वाइंडिंग के चुम्बकीय क्षेत्र के संपर्क में सेकेंडरी वाइंडिंग को रखते हे तो इस वाइंडिंग में फैराडे के विद्युत चुम्बकीय प्रेरण सिध्दांत के अनुसार इसमें विद्युत वाहक बल उत्पन्न होता है |


3.कोर 

ट्रांसफार्मर की प्राइमरी तथा सेकेंडरी वाइंडिंग कोर के ऊपर ही लपेटी जाती है | कोर एक सिलिकॉन स्टील की लमिनेटेड पत्तियों से मिलकर बनी फ्रेम होती हे | इसका कार्य ट्रांसफार्मर में प्राइमरी वाइंडिंग से निकलने वाली अधिक से अधिक चुम्बकीय बल रेखाओ को सेकेंडरी तक पहुचना होता हे साथ ही इस फ्रेम में सिलिकॉन स्टील का उपयोग किया जाता हे जो की ट्रांसफार्मर को आयरन लोस से भी बचाता है |

इन तीन भागो का उपयोग छोटे ट्रांसफार्मर में किया जाता हे लेकिन एक बड़े डिस्ट्रीब्यूशन ट्रांसफार्मर में इनके अतिरिक्त और भी parts होते हे जैसे –

4. आयल टैंक 

यह ट्रांसफार्मर की बॉडी ही होती हे जो की एक टैंक की तरह कार्य करती हे | जब ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग को सप्लाई के साथ जोड़ा जाता हे तो वह वाइंडिंग विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव के कारण गर्म हो जाती हे जिसके कारण वह जल सकती हे जिसे जलने से बचाने के लिए ट्रांसफार्मर टैंक में ट्रांसफार्मर आयल भरा जाता है | इस आयल को ट्रांसफार्मर आयल या मोबिल आयल के नाम से जाना जाता हे यह आयल प्राइमरी तथा सेकेंडरी के बिच अचालक के रूप में काम करता हे तथा ट्रांसफार्मर को ठंडा रखता है |


5. कंजरवेटर 

यह एक छोटा आयल टैंक होता हे जो बड़े आयल टैंक मतलब बॉडी के ऊपर लगा होता है | और इसको आधा आयल से भरा जाता है इसके ऊपर एक आयल गेज लगा होता हे जो पुरे ट्रांसफार्मर के आयल का मान बताता हे | जब ट्रांसफार्मर आयल गर्म होता हे तो उसमे फैलाव होता हे तथा ठंडा होने पर वह संकुचित हो जाता है तो इस स्थति में कंजरवेटर ही तेल के स्थर को लेवल में रखता हे |

6. ब्रीदर 

ट्रांसफार्मर जब ठंडा होता हे तो वह सिकुड़ने लगता हे इस स्थति में वह वायुमंडल की हवा को अन्दर खिचता हे यदि वायुमंडल की नमीयुक्त हवा ट्रांसफार्मर के आयल से मिल जाती हे तो आयल ख़राब हो जाता हे जिससे प्राइमरी तथा सेकेंडरी के मध्य शोर्ट सर्किट हो सकता है | वायुमंडल की नमीयुक्त हवा से नमी सोखने के लिए ब्रीदर का उपयोग किया जाता है जिसमे सिलिका जेल भरी होती हे | नमी सोखने के से पहले इसका रंग सफ़ेद , गुलाबी होता हे तथा नमी सोखने के बाद इसका रंग नीला आसमानी हो जाता है |


इनके अतिरिक्त भी बहुत से parts होते हे जैसे –
7. आयल गेज 
8. बकोल्ज रिले 
9. टेम्प्रेचर गेज 
10. एक्सप्लोजन वेंट  
11. ओवरलोड रिले 
12. प्रेशर रिलीज वाल्व , आदि |


याद रखने योग्य – 
* ट्रांसफार्मर केवल ए.सी. सप्लाई पर कार्य करता हे 
* ट्रांसफार्मर फैराडे के अन्योन प्रेरण सिध्दांत पर कार्य करता हे 
* ट्रांसफार्मर की प्राइमरी वाइंडिंग को सप्लाई से जोड़ा जाता है 
* ट्रांसफार्मर की जिस वाइंडिंग को लोड से जोड़ते हे उसे सेकेंडरी कहते हे 
* ट्रांसफार्मर ट्रांसफार्मर को डी.सी. सप्लाई से जोड़ने पर वह जल जाता है 
* ट्रांसफार्मर पर आयल गेज कंजरवेटर पर लगा होता है 
* ट्रांसफार्मर पर टेम्प्रेचर गेज 100 डिग्री से अधिक तापमान होने पर ट्रांसफार्मर को सप्लाई से डिसकनेक्ट कर देता है 
* सिलिका जेल ब्रीदर में भरी जाती है 
* सिलिका जेल का रंग शुष्क अवस्था में सफ़ेद गुलाबी होता है 
* सिलिका जेल का रंग नमी सोखने के बाद नीला हो जाता है 

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One Comment

  1. Bhagwat singh says:

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