इलेक्ट्रिसिटी से जुड़े किसी भी कार्य में यदि थोड़ी सी भी लापरवाही की जाती है तो यह किसी न किसी नुकशान का कारण जरुर बनती है | ऐसे ही यदि जब कही इलेक्ट्रिक तारों में या किसी वैद्युतिक पुर्जे में जोड़ लगाया जाता है तो उस जोड़ से विद्युत उर्जा का तथा अन्य प्रकार के नुकशान का होना तय होता है | तारों के जोड़ो को मजबूती देने के लिए हमें सोल्डरिंग की आवश्यकता होती है | आज के इस आर्टिकल में हम जानेंगे ( Soldering in Hindi ) सोल्डरिंग क्या होती है , और सोल्डरिंग कितने प्रकार की होती है |
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सोल्डरिंग क्या है | Soldering in HIndi
वैद्युतिक क्षेत्र में सोल्डरिंग को एक प्रकार की प्रक्रिया कहा जाता है जिसमें दो समान या भिन्न – भिन्न धातुओं को आपस में किसी तीसरी धातु के द्वारा जोड़ा जाता है | जिस तीसरी धातु के द्वारा दोनों धातुओं को आपस में जोड़ा जाता है उसे फिलर या सोल्डर के नाम से जाना जाता है |
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इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों में तो बिना सोल्डरिंग के किसी भी उपकरण का निर्माण एक असंभव सा कार्य जान पड़ता है | लगभग सभी प्रकार के सर्किट बोर्ड में बहुत सारे पुर्जों को आपस में जोड़ने के लिए सोल्डरिंग का उपयोग करना ही पड़ता है | किसी भी जोड़ वाले स्थान पर सोल्डरिंग का उपयोग करने से जोड़ यांत्रिक रूप से तो मजबूत होता ही है साथ ही जोड़ वाले स्थान में होने वाले वोल्टेज ड्राप में कमी आती है और विद्युत धारा प्रवाह आसान हो जाती है |
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सोल्डरिंग के लिए सोल्डरिंग प्रकिया में सोल्डरिंग आयरन , सोल्डरिंग फ्लक्स और फिलर ( सोल्डर ) आदि का उपयोग करना होता है | Soldering में जोड़ के अनुसार अलग -अलग वाटेज क्षमता (विद्युत् शक्ति ) का सोल्डरिंग आयरन और फिलर का उपयोग करना होता है |
सोल्डरिंग की विधियाँ कौन – कौन सी है
जोड़ वाले उपकरण , जोड़ के आकार , धातु तथा स्थान के अनुसार सोल्डरिंग की अलग -अलग विधियों का उपयोग किया जाता है –
- इलेक्ट्रिक सोल्डरिंग आयरन द्वारा
- ब्लो लैंप द्वारा
- सोल्डरिंग पात्र और कडछी द्वारा
इलेक्ट्रिक सोल्डरिंग आयरन द्वारा सोल्डरिंग करना
आजकल का आधुनिक सोल्डरिंगआयरन है इससे विद्युत सप्लाई द्वारा गर्म किया जाता है सोल्डरिंग आयरन की बिट कॉपर का बना होता है | इस काम के लिए 35 वाट 65 वाट 125 वाट का सोल्डर आयरन प्रयोग किया जाता है |
बीट के गर्म हो जाने पर सोल्डर करने वाले जॉइंट को गर्म किया जाता है | जॉइंट पर थोड़ा सा फ्लक्स लगाकर सोल्डर को थोड़ा सा बीट पर लगाकर जॉइंट पर सोल्डर कार्ड पिघलाया जाता है | जब जॉइंट अच्छी प्रकार सोल्डर से भर जाता है तब सोल्डर और सोल्डरिंग आयरन को हटा लेते हैं|
यदि किसी जगह सोल्डर अधिक लग जाता है तो उसे सोल्डिंग से हटा देते हैं! आजकल इसका प्रयोग विद्युतीय वह इलेक्ट्रॉनिक कार्यों के लिए करते हैं
ब्लो लैंप द्वारा सोल्डरिंग करना
ब्लो लैंप द्वारा सोल्डरिंग करने की विधि – । इस विधि का प्रयोग सोल्डर के सतहो को आपस में जोड़ने लिया किया जाता है | सोल्डरिंग करने के लिए ब्लो लैंप सोल्डर तथा फ्लक्स की आवश्यकता होती है |
सबसे पहले ब्लो लैंप को जलाया जाता है उसके बाद जोड़ पर फ्लक्स लगा कर सोल्डर राॅड को पिलाया जाता है | जिससे कि जोड़ सोल्डर से भर जाता है | और इसमें लगाए जाने वाला जोड़ सोल्डरिंग आयरन की अपेक्षा जल्दी से गर्म हो जाता है | बड़े केबल्स एवं उपकरणों के जोड़ के लिए इस प्रकार की सोल्डरिंग विधि उपयुक्त होती है |
सोल्डरिंग पात्र और कडछी द्वारा सोल्डरिंग करना
सोल्डरिंग पात्र और कड़छी द्वारा सोल्डरिंग करने की विधि = हमें सोल्डरिंग करने के लिए सोल्डरिंग पात्र , कड़छी सोल्डर राॅड तथा फ्लक्स की जरूरत होती है |
हमें सबसे पहले सोल्डरिंग पात्र में सोल्डर राॅड के टुकड़े डालकर उन्हें पिघलाया जाता है | और जोड़ पर फ्लक्स लगाकर गर्म सोल्डर कड़छी द्वारा जोड़ पर डाला जाता है |
सोल्डरिंग पात्र जोड़ के नीचे रखा जाता है और दो -तीन बार सोल्डर डालने के बाद वह जोड पर चिपकना शुरू कर देता है क्योकि प्रारम्भ में डाला गया सोल्डर, जोड़ को गर्म करता है |
सोल्डर को पात्र में गर्म करते समय पात्र को थोड़ा थोड़ा हिलाते रहना चाहिए जिससे कि सोल्डर के घटक टिन व सीसा एक ही अवस्था में रहे | सामान्यता इस प्रकार की सोल्डरिंग विधि का उपयोग एक्स्ट्रा हाई वोल्टेज केबल्स लाइन तथा बड़े अकार वाले उपकरण , मशीनों में सोल्डरिंग करने के लिए किया जाता है |
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Soldering Imp Questions Answers
उत्तर-: सोल्ड्रिंग एक प्रकार का जोड़ है। और सोल्डर के द्वारा जोड़ने की प्रक्रिया को ही सोल्ड्रिंग कहते हैं।
उत्तर-: टिन का गलनाक बिंदु लगभग 232° सेंटिग्रेट होना चाहिए।
उत्तर-: लगभग 327° सेंटिग्रेट गलनाक बिंदु होना चाहिए।
उत्तर-: लेड और टिन का अनुपात 63:37 होना चाहिए।
उत्तर-: स्लोड्रिंग आयरन का एलिमेंट तांबे कि धातु का बनाया जाता है।
उत्तर-: सोल्डर द्वारा जोड़ने की प्रक्रिया को सोल्ड्रिंग कहा जाता है
उत्तर-: लग्स् लगाने के लिए सोल्ड्रिंग टार्च विधि का प्रयोग किया जाता हैं।
उत्तर – सोल्डर करने के लिए लेड और टिन का मिश्रण प्रयोग किया जाता हैं।
उत्तर-: सोल्डर करने की प्रक्रिया को आसान बनाना और सोल्डर करने वाले सतह पर अक्साईड की परत को नही जमने देना।
उत्तर-: इलेक्ट्रिक सोल्ड्रिंग आयरन को विद्युत एलिमेंट के द्वारा गर्म किया जाता हैं।
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निष्कर्ष तो इस आर्टिकल में हमने जाना Soldering क्या है और Soldering कितने प्रकार की होती है | उम्मीद करते है यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा | हमारे नये आर्टिकल की अपडेट पाने के लिए आप हमसे सोशल मीडिया पर जुड़ सकते है | और यदि इस आर्टिकल से जुदा आपका कोई सवाल है तो कृपया हमें निचे कमेंट बॉक्स में कमेंट करें |और यदि आर्टिकल पसंद आता है तो अपने साथियों के साथ जरुर शेयर करें |
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